मोदी ने किया 'नए' जलियांवाला बाग का उद्घाटन:PM बोले- आजादी के लिए चिरगाथा बन गए वो 10 मिनट, संकट के वक्त हर भारतीय के साथ खड़ा है देश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृतसर में जलियांवाला बाग के नए स्वरूप का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया। इस दौरान मोदी ने कहा कि, जलियांवाला बाग वह जगह है जिसने सरदार उधम सिंह, सरदार भगत सिंह जैसे बलिदानियों को हिंदुस्तानी की आजादी के लिए मर मिटने का हौसला दिया। 13 अप्रैल 1919 के वो 10 मिनट, हमारी आजादी के चिरगाथा बन गए। जिसके कारण हम आजादी का अमृत महोत्सव मना पा रहे हैं। हालात मुश्किल लेकिन हम मजबूती से खड़े हैं प्रधानमंत्री ने कहा कि, जब दुनियाभर में कोई भी भारतीय संकट में घिरता है, तो भारत उसकी मदद के लिए खड़ा होता है। कोरोना हो या अफगान संकट, दुनिया ने इसे अनुभव किया है। ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से सैकड़ों भारतीयों को लाया जा रहा है। देश के लिए आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास जरूरी पीएम मोदी ने कहा कि, बीते वर्षों में देश ने अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए जीजान से प्रयास किया। मानवता की जो सीख हमें गुरुओं ने दी थी, उसे सामने रखकर सताए अपने लोगों के लिए नए कानून भी बनाए हैं। आज जिस तरह के हालात बन रहे हैं, एक भारत श्रेष्ठ भारत के क्या मायने हैं। ये घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि राष्ट्र के तौर पर आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास गांव-गांव में सेनानियों को किया जा रहा याद पीएम मोदी ने कहा कि जलियांवाला बाग की तरह ही आजादी से जुड़े दूसरे स्मारकों का भी संरक्षित किया जा रहा है। कोलकाता में भी क्रांति के चिन्हों को इतिहास के पिछले पन्नों से निकालकर नई पहचान दी जा रही है। अंडमान के दीपों का नाम भी स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित किया गया। आदिवासी समाज ने बहुत बड़ा योगदान दिया। अमर गाथाएं आज भी प्रेरणा है। इतिहास की किताबों में इन्हें भी इतना स्थान नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था। देश की ये भी आकांक्षा है कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे सैनिकों के लिए स्मारक बनाया जाएं। शहीदों के परिवार जलियांवाला बाग पहुंचे जलियांवाला बाग गोलीकांड में जान गंवाने वाले शहीदों के परिवार इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे। परिवारों से सबसे पहले बाग में बने शहीद समारक को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीदों के परिवारों के लिए यहां एक पंडाल सजाया गया था। जरूरी है जलियांवाला बाग के नए स्वरूप के उद्घाटन के साथ ही ये अब आम जनता के लिए खोल दिया गया है। ये पहले कैसा था और अब इसमें क्या-क्या बदलाव किए गए हैं। हम आपको बताते हैं एंट्रेंस- जहां से अंग्रेजों की सेना घुसी थी अब जलियांवाला बाग में आते ही सबसे पहले सैलानियों का ध्यान एंट्रेंस पर जाने वाला है। ये वही तंग रास्ता है, जहां से जनरल डायर ने सेना को अंदर जाने के लिए कहा था। यहां अब खूबसूरत हंसते-खेलते लोग दिखाए गए हैं। ये दरवाजा उन शहीदों को समर्पित है, जो 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी वाले दिन हंसते हुए अपने परिवार के साथ जलियांवाला बाग में पहुंचे थे। शहीदों को समर्पित तीन गैलरियां जलियांवाला बाग के नरसंहार और शहीदों को समर्पित तीन गैलरियों का निर्माण किया गया है। इस गैलरी में शहीदों से संबंधित दस्तावेज रखे गए हैं। इनसे आज की युवा पीढ़ी शहीदों को दी जाने वाली यातनाओं के बारे में जानेगी। शहीदों की वीरता के किस्से भी देखेंगे और पढ़ेंगे। एक गैलरी बुलेट मार्क लगी गैलरी के साथ बनाई गई है। जहां इस नरसंहार के बाद ब्रिटिश राज में क्या-क्या हुआ और डायर को अंग्रेजों ने कैसे बचाया आदि ब्रिटिश राज के क्रूर कामों के बारे में बताया गया है। कुएं का नया रूप जिस समय वो जघन्य हत्याकांड अंजाम दिया गया था, उस समय ये कुआं खुला ही होता था। इंदिरा गांधी के समय इस पार्क को पहली बार रेनोवेट किया गया था, तब इस कुएं पर छत बनाई गई थी। अब इसकी रूपरेखा में और भी बदलाव किया गया है। कुएं के चारों तरफ गैलरी बनाई गई है और सुरक्षा के लिए कांच लगाए गए हैं, जिससे कुएं को गहराई तक देखा जा सकता है। शहीदी लाट को भी बनाया गया आकर्षक पार्क के बीचों-बीच बनी शहीदी लाट में कोई बदलाव नहीं किया गया। इसके आसपास इतना सुंदर पार्क बना दिया गया है कि घंटों तक कोई भी यहां बैठकर इसकी खूबसूरती को निहार सकता है। लाट के आगे लगे फव्वारों की जगह पानी भरा गया है और उसमें पानी पर तैरने वाले फूल पत्ते लगाए गए हैं। पार्क के चारों तरफ भी सुंदर फूल लगाए गए हैं और छोटे-छोटे बगीचे तैयार किए गए हैं। सैलानी आएं और शहीदों को नमन करने के साथ-साथ सुंदर वातावरण का भी आनंद लें। सुरक्षित की गई हैं दीवार कुएं से थोड़ा आगे जाएंगे तो आपको एक दीवार दिखाई देगी। ये वो दीवार है, जिस पर गोलियों के निशान आज भी हैं, ताकि आज की युवा पीढ़ी उस समय मारे गए लोगों के दुख दर्द को समझ सके। इसे संरक्षित करने के लिए दीवार के आगे रेलिंग लगा दी गई है, ताकि लोग इसे देख सकें, लेकिन छू न सकें।

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