महामारी में आयुर्वेद प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ी:इम्युनिटी बढ़ाने के लिए एलोपैथी के मुकाबले आयुर्वेद पर ज्यदा भरोसा, 7 साल में आयुष मंत्रालय का बजट 5 गुना बढ़ा

दुनिया में कोरोना महामारी से बचाव के लिए टीकाकरण चल रहा है। हालांकि लोगों के बीच प्रतिरोधकता बढ़ाने के लिए इन एलोपैथ टीकों के अलावा दूसरे प्राकृतिक और देसी उत्पादों का इस्तेमाल में तेजी आई है। आंकड़े बताते हैं कि महामारी में आयुर्वेद उत्पादों की मांग में खासा उछाल आया है। एक प्रमुख आयुर्वेद कंपनी का तो अप्रैल-जून तिमाही में कारोबार 50% बढ़ गया है। कंपनियों और बाजार का विश्लेषण करने वाली संस्था कंतार के मुताबिक शरीर की प्रतिरोधकता बढ़ाने में मददगार च्यवनप्राश, शहद, हर्बल चाय जैसे उत्पादों वाले सेग्मेंट में सालाना आधार पर शहरी इलाकों में 38% बढ़ोतरी दर्ज की गई। आयुर्वेद में भरोसा बढ़ने की दूसरी वजह सरकार का समर्थन भी रहा। केंद्र ने आयुर्वेद समेत अन्य विभागों वाले आयुष मंत्रालय का बजट 7 साल में 5 गुना तक कर दिया है। इससे उत्पादों के प्रति रुख बदला है। भारतीय उद्योग परिसंघ मुताबिक आयुर्वेदिक इंडस्ट्री करीब 30 हजार करोड़ रुपए की हो चुकी है। कोरोना में देश का निर्यात घटा, आयुर्वेद का 13% बढ़ा देश का निर्यात साल 2020-21 में गिरकर माइनस 7.1% आ गया था। इस दौरान आयुर्वेद का निर्यात 13% चढ़ गया। इसके बड़े आयातकों में अमेरिका, यूएई और रूस शामिल हैं। साल 2014-15 से लेकर 2017-18 तक भी आयुर्वेद उत्पादों का निर्यात बढ़ा था। दूसरी ओर, यूगोव-मिंट-सीपीआर मिलेनियल्स सर्वे के मुताबिक कम पढ़े-लिखे और युवाओं में एलोपैथी के मुकाबले आयुर्वेद में भरोसा बढ़ा है। सर्वे में 203 शहरों के 10,285 लोग शामिल किए गए।

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