क्या करीब 70 साल बाद एक बार फिर टाटा की होगी एयर इंडिया

अगर सबकुछ ठीक रहा तो कर्ज में डूबी सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन एयर इंडिया (Air India) एक बार फिर टाटा ग्रुप के हाथों में जा सकती है। दरअसल, एयर इंडिया के भविष्य पर फैसला होने वाला है। इस एयरलाइन के लिए बोली लगाने की आखिरी तिथि 15 सितंबर थी, जो आज खत्म हो रही है। इस एयरलाइन के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों में टाटा संस भी शामिल है। टाटा संस के प्रवक्ता ने बताया कि एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोली जमा कराई है। स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह ने भी एयर इंडिया के लिए बोली लगाई है। यह बात इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कही गई है। 1932 में हुई थी एयरलाइन की शुरुआत: आपको बता दें कि जे आर डी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी। 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई। अब एक बार फिर टाटा ग्रुप की टाटा संस ने इस एयरलाइन में दिलचस्पी दिखाई है। कहने का मतलब ये है कि करीब 70 साल बाद एक बार फिर एयर इंडिया के टाटा ग्रुप के पास जाने की उम्मीद है। टाटा संस की ग्रुप में 66 फीसदी हिस्सेदारी है, और ये टाटा समूह की प्रमुख स्टेकहोल्डर है। इस बीच, सरकार ने बताया कि उसे राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया को खरीदने के लिए कई वित्तीय बोलियां मिली हैं। निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने ट्विटर पर लिखा, "लेनदेन सलाहकार को एयर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां मिली हैं। प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है।" बिक रही समूची हिस्सेदारी: केंद्र सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है जिसमें एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल हैं। विमानन कंपनी साल 2007 में घरेलू ऑपरेटर इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से घाटे में है। साल 2017 से ही सरकार एयर इंडिया के विनिवेश का प्रयास कर रही है। तब से कई मौके पर प्रयास सफल नहीं हो पाए। हालांकि, सरकार ने बाद में नियमों में कुछ बदलाव किए और खरीदारों के लिए नया विकल्प दिया। इसके बाद कोरोना आ गया और इस वजह से विनिवेश की प्रक्रिया में देरी हो गई। सरकार ने अप्रैल, 2021 में संभावित बोलीदाताओं को वित्तीय बोली सौंपने के लिए कहा था। इसकी अवधि 15 सितंबर तक की थी। बहरहाल, सफल बोली लगाने वाली कंपनी को एयर इंडिया की सस्ती विमानन सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी शत प्रतिशत नियंत्रण मिलेगा।

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