भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स में जमकर हंगामा:BJP-कांग्रेस में बंटे सदस्य, दिग्विजय की तारीफ की तो दूसरे पक्ष ने आपत्ति जताई, चुनाव अधिकारी का इस्तीफा; अब 12 सितंबर को नहीं होंगे चुनाव

भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चुनाव को लेकर मंगलवार को जमकर हंगामा हुआ। 12 सितंबर को प्रस्तावित चैंबर के चुनाव रद्द कर दिए गए। हंगामे के दौरान सदस्य BJP-कांग्रेस में बंट गए। एक धड़े ने पूर्व CM दिग्विजय सिंह की तारीफ की तो दूसरा धड़ा विरोध में उतर आया। इस दौरान 'शिवराज जिंदाबाद' के नारे गूंजने लगे। कुर्सियां भी फेंके जाने की खबर है। एक-दूसरे में तीखी नोकझोंक हुई। विवाद के बाद चुनाव अधिकारी मुकेश सेन ने इस्तीफा दे दिया। चैंबर चुनाव एक बार फिर टल गया है। अध्यक्ष ललित जैन ने कहा कि 12 सितंबर को वोटिंग नहीं होगी। कार्यकारिणी की मीटिंग के बाद तारीख पर निर्णय लिया जाएगा। चैंबर चुनाव पहले 29 अगस्त को प्रस्तावित थे, लेकिन 26 अगस्त को बैरागढ़/शाहजहांनाबाद SDM मनोज उपाध्याय ने कोरोना प्रतिबंधों का हवाला देते हुए वोटिंग पर रोक लगा दी थी। हालांकि, चैंबर ने जिला प्रशासन को लिखकर दिया कि वोटिंग के दौरान कोरोना की गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। इसके बाद प्रशासन ने वोटिंग कराने की हामी भरी और चुनाव अधिकारी सेन ने वोटिंग की तारीख 12 सितंबर तय कर दी। इसके बाद मैदान में उतरे प्रत्याशियों में खुशी की लहर छा गई और एक बार फिर से वे प्रचार में जुट गए। ऑफिस में जमकर हंगामा चैंबर के चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद वे असंतोष दिखाई दे रहे थे, जो अभी चुनाव नहीं कराना चाहते थे। इधर, दोपहर में कोहेफिजा स्थित ऑफिस में चैंबर के सदस्य इकट्‌ठा हुए और चुनाव की तारीख घोषित करने का विरोध जताने लगे। कुछ ही देर में हंगामा बढ़ गया और नोकझोंक-नारेबाजी होने लगी। एक-दूसरे को देख लेने तक की धमकियां दी जाने लगी। ऐसे बढ़ा विवाद जानकारी के अनुसार चैंबर के सदस्य गोविंद गोयल ने जैसे ही दिग्विजय सिंह की तारीफ की तो दूसरे सदस्यों ने इसका जमकर विरोध किया। इस दौरान 'जय-जय श्रीराम' के नारे ऑफिस में गूंजने लगे। बताया जाता है कि चैंबर के अन्य सदस्य सुनील पंजाबी ने गोयल का जमकर विरोध किया। विवाद के बाद सदस्य दो खेमे में बंट गए। एक खेमा कांग्रेस तो दूसरा भाजपा का पक्ष लेने लगा। अब कार्यकारिणी के पाले में गेंद कुछ सदस्यों का कहना था कि चुनाव अधिकारी मुकेश सेन ने वोटिंग कराने की 12 सितंबर तारीख कैसे घोषित कर दी, जबकि 2 से 20 सितंबर के बीच वोटिंग न कराने की सहमति पहले ही बनाई जा चुकी थी। इस अवधि में गणेशोत्सव एवं पर्यूषण पर्व है। इधर, हंगामे और भारी दबाव के बाद चुनाव अधिकारी सेन ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, वे चैंबर के सचिव पद पर बने रहेंगे। इसके बाद वोटिंग स्थगित कर दी गई। अब चुनाव की अगली तारीख को लेकर कार्यकारिणी की बैठक होगी। जिसमें अगली तारीख को लेकर फैसला होगा। चुनाव अधिकारी पर लगे एक पक्ष का साथ देने के आरोप भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चुनाव हाईप्रोफाइल बंन गए थे। इसमें कई बड़े उद्योगपतियों ने अध्यक्ष व अन्य सीटों पर अपनी पैनल उतारे थे। इधर, चुनाव को लेकर चुनाव अधिकारी सेन पर सब कुछ निर्भर था। वे ही चुनाव की प्रक्रिया कर रहे थे। ऐसे में एक धड़े का आरोप था कि वे एक पैनल का समर्थन कर रहे हैं। इससे चुनाव प्रभावित होंगे। इधर, सेन ने वोटिंग की 12 सितंबर की तारीख घोषित कर दी तो इस मामले ने आग में घी डालने जैसा काम किया। आखिरकार सेन की चुनाव अधिकारी के पद से विदाई हो गई। हालांकि, उन्होंने स्वैच्छा से इस्तीफा दिया है। इस्तीफे के बाद सेन ने अपना मोबाइल स्वीच ऑफ कर लिया। 4 पैनल के बीच था मुकाबला इससे पहले 29 अगस्त और 12 सितंबर को प्रस्तावित चुनाव में परिवर्तन, सद्भावना, प्रगतिशील एवं व्यापारी का साथ, सबका विकास पैनल के 55 प्रत्याशी मैदान में थे। वे 24 पदों के लिए चुनाव लड़ रहे थे। इनमें अध्यक्ष समेत 3 उपाध्यक्ष, 1 महामंत्री, 2 मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष, 1 सह-कोषाध्यक्ष और 15 कार्यकारिणी शामिल हैं। हालांकि, परिवर्तन, सद्भावना एवं प्रगतिशील पैनल के बीच मुख्य मुकाबला था। चुनाव अधिकारी से जबरदस्ती इस्तीफा लिखवाया: पाली चुनाव निरस्त होने से पैनलों के प्रत्याशियों में निराशा है और वे आरोप लगा रहे हैं। प्रगतिशील पैनल से अध्यक्ष पद के दावेदार तेजकृपाल सिंह पाली ने कहा कि बार-बार चुनाव स्थगित कराने के पीछे कोई षड़यंत्र है। कुछ लोग शुरू से ही नहीं चाह रहे थे कि चुनाव हो। 50-60 लोगों ने दफ्तर में आकर और शटर बंद कराकर चुनाव अधिकारी को दबाव में लेकर जबरदस्ती इस्तीफा लिखवा लिया। इसमें अध्यक्ष ललित जैन भी शामिल हैं। इसकी निंदा करता हूं।

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