कोरबा. कोरबा के एक घर के गमले के पौधे में तोते जैसी सूरत वाला सुआ सांप चिपका था. आंगन में लगे पौधों को पानी देते वक्त अचानक ऐसा लगा, जैसे कोई हरे रंग की लंबी छिपकली पत्तियों में घूम रही है. ध्यान से देखने पर पता चला कि सर्प है, जो न केवल हरे रंग का था, उसके आगे की आकृति भी तोते से मिलती-जुलती है. यह वाइन स्नेक था, जिसका रेस्क्यू आरसीआरएस टीम के अध्यक्ष सर्पमित्र अविनाश यादव व टीम के सदस्य विक्की सोनी ने किया. हरे रंग का यह सर्प शहर के दादरखुर्द बस्ती में रहने वाले राजू सिंह के आंगन में दिखाई दिया. अजीब सी सूरत और रंगत वाले सांप को देख उन्होंने आरसीआरएस टीम के अध्यक्ष सर्पमित्र अविनाश यादव को जानकारी दी.
अविनाश अपने टीम के सदस्य विक्की सोनी के साथ उस स्थान पर पहुंचे और उसका निरीक्षण किया. पता चला कि यह एक वाइन स्नेक है, जिसे छत्तीसगढ़ में स्थानीय तौर पर सुआ सांप कहा जाता है. तोते की तरह का मुंह और हरा रंग होने के कारण ही उसे यह नाम दिया गया है. इस सर्प को रेस्क्यू करने के बाद अविनाश ने सुरक्षित विचरण के लिए जंगल में छोड़ दिया. यह परिवार कुछ दिन पहले ही काफी प्वाइंट में घूमने गया था. अविनाश ने बताया कि आम तौर पर यह सर्प आबादी से दूर हरे-भरे जंगल में ही छिपकर रहता है. ये सांप मध्यम विषैला होता है. शिकार बनने वाले छोटे पक्षियों, चूहों या छोटे जीवों पर असर करता है, इसलिए इसका काटा जाना, व्यक्तियों पर ज्यादा घातक नहीं. फिर भी अगर आप को सर्प की पहचान न हो और इस तरह का कोई सर्प अगर काट ले, तो बेहतर होगा कि बिना देरी किए चिकित्सकीय उपचार प्राप्त करें.
स्थानीय ग्रामीणों में जागरूकता के चलते ये भ्रांति भी है कि यह सांप अपने नुकीले नाक से लोगों की आंखें फोड़ देता है. वाइन सर्प की नाक तोते की तरह काफी नुकीली होती है जिसके कारण लोग इस सर्प से दूर रहने में ही भलाई समझते हैं. इस भ्रांति के बिलकुल विपरीत नाजुक सा यह सर्प हमेशा छुपकर रहता है और उसकी नुकीली नाक भी इतनी कोमल होती है, कि जरा सा जोर लगाने पर यह उसके लिए जानलेवा दबाव साबित हो सकता है. हरे रंग के इस सर्प को हरियाली से काफी प्यार होता है और इसलिए वह हरे रंग के ही पौधे में चिपकता है. बांस की पत्तियों का रंग बिलकुल इसी सर्प से मेल खाता है और इसलिए यह सबसे ज्यादा बांस में ही निवास करता पाया जाता है, इसलिए यह जल्दी से नजर नहीं आता. पेड़ में यह काफी तेजी से भाग सकता है पर जमीन में उसकी गति काफी धीमी हो जाती है. शिकार की तलाश में यह जीवन का ज्यादातर समय हरी-भरी झाड़ियों पर ही बिताता है.
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