शिमला में 8 सेकेंड में ढही 8 मंजिला बिल्डिंग:मलबे के ढेर पर बनी थी; आर्किटेक्ट ने सिर्फ 4 मंजिल बनाने को कहा, मालिक ने बना दी 8: नक्शा पास या नहीं जांच के बाद पता चलेगा

राजधानी शिमला के कच्ची घाटी स्थित घोड़ा चौकी क्षेत्र में मात्र 8 सेकंड में ढही इमारत को लेकर सवाल उठ रहे हैं। नगर निगम आर्किटेकट प्लानर देवेंद्र मिस्टा का कहना है कि इस भवन का नक्शा पास था भी या नहीं, यह जांच के बाद ही पता चलेगा। भवन मालिक से इस संबंध में रिकॉर्ड मांगा गया है। वहीं फायर अफसर का कहना है कि आर्किटेक्ट ने सिर्फ चार मंजिल बनाने के लिए कहा था लेकिन मालिक ने 8 मंजिल बना दी। भवन मालिक का दावा है कि उन्होंने साडा से भवन को पास करवाया है। फिलहाल यह भी जांच का विषय है कि यदि नक्शा पास था तो ऐसी असुरक्षित जगह पर 8 मंजिला इमारत बनाने की इजाजत कैसे दे दी गई। बालूगंज फायर अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि जब मौके पर गए थे तो जांच के बाद पता चला कि जिस समय इमारत बनी थी उस समय आर्किटेक्ट ने केवल 4 मंजिला बनाने को कहा था। आर्किटेक्ट की बात को अनसुना कर मालिक ने इसे 8 मंजिला बना दिया। जहां इमारत बनाई गई थी वहां हर जगह मलबा ही मलबा है। मलबे के ढेर पर बनी थी इमारत फायर अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अभी तक की जांच में सामने आया है कि ढही इमारत मलबे के ढेर पर बनी थी। यहां वह मलबा पड़ा था जो सड़क निर्माण के दौरान नीचे फेंका गया। इमारत बनाते समय इसके बेस के लिए भी जमीन के नीचे पक्की जगह तलाश नहीं की गई। हालांकि इमारत स्टैंड करने के लिए पिलर लगे थे लेकिन पक्का बेसमेंट न होने के कारण ये मलबे पर ही टिके थे। सालों से हो रही बारिश के कारण मलबे की मिट्टी धीरे-धीरे अपनी जगह छोड़ती रही। इससे पिल्लर की नींव कमजोर हुई और आखिरकार इमारत ढह गई। 33 साल से रह रहे परिवार को हादसे ने कर दिया बेघर 8 मंजिला इमारत ढहने से चपेट में आए दो मंजिला मकान की मालिक महिला निर्मला भट्‌ट ने बताया कि 1986 में उन्होंने मकान बनवाया था। उनके पति का देहांत हो गया, किसी तरह उसने बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया। 33 साल से यहीं पर रह रहे थे, लेकिन हादसे ने उन्हें बेघर कर दिया। उनके पास खाने-पीने का सामान और कपड़ों से भरे बैग शेष रह गए हैं। बाकी सारा सामान मलबे में दब गया। उनके मकान में ही दो परिवार किरायेदार थे, साथ में वह भी बेघर हो गए हैं। 15 दिन पहले कह दिया था घर खाली करने को दो मंजिला घर की मालिक निर्मला भट्‌टा का कहना है कि उन्हें 15 दिन पहले ही प्रशासन ने घर खाली करने के लिए कह दिया था। स्थानीय पटवारी ने उन्हें कहा था कि आपके ऊपर की इमारत में दरारें आ चुकी हैं, यह कभी भी गिर सकती है। ऐसे में उनका यहां रहना खतरे से खाली नहीं है। इमारत कभी भी ढह सकती है। उन्होंने ज्यादा सामान भी बाहर नहीं निकाला। घर में कीमती सामान सभी मलबे के नीचे दब गया। वह ज्यादा सामान भी बाहर इसलिए नहीं निकाल पाए, क्योंकि नीचे जाते समय अकसर यही डर लगता था कि सामान निकालते समय इमारत ना गिर जाए। 2005 में साडा के समय बना था भवन घौड़ा चौकी में बने आठ मंजिला भवन का निर्माण साडा के तहत वर्ष 2005 में हुआ था। भवन करीब 15 वर्ष पुराना है। नगर निगम शिमला के उपमहापौर शैलेंद्र चौहान के अनुसार यह भवन कारोबारी गुरमीत सिंह का है। भवन मालिक का कहना है कि साडा के तहत भवन का निर्माण किया गया। बाद में यह क्षेत्र नगर निगम में शामिल हो गया। वहीं पूरी पहाड़ी पर मलवा होने के कारण जमीन धीरे-धीरे खिसक रही है। इससे यहां रहने वाले स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ गई है और प्रशासन की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। प्रशासन आसपास के सभी भवनों को खाली करवा रहा है, ताकि कोई बड़ा हादसा ना हो। आठ मंजिला इमारत में रहते थे छह परिवार प्रशासन से जारी रिपोर्ट के अनुसार आठ इमारत में गुरबचन सिंह, गुरमीत सिंह, केआर शर्मा, राजीव सूद, नारायण सिंह, विक्की सूद के परिवार रह रहे थे। उन्हें यहां से शिफ्ट किया गया है। डीसी शिमला आदित्य नेगी ने बताया कि परिवारों के ठहरने की व्यवस्था जलशक्ति विभाग और लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाउस में की गई है। कुल आठ परिवार प्रभावित हुए हैं, सभी को 10 हजार रुपए की फौरी राहत दी है।

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