यमुनानगर में अशोक चक्र का रैप्लिका:टोपरा गांव में देश के सबसे ऊंचे अशोक चक्र पर स्थापित किया छत्र

यमुनानगर के टोपरा गांव में देश के सबसे ऊंचे अशोक चक्र पर छत्र स्थापित कर दिया गया। 60 फीट ऊंचा छत्र लगने के बाद अशोक चक्र की भव्यता और बढ़ गई। आसपास की पंचायतों और द बुद्धस्टि फोरम के सक्रिय सहयोग के बाद चक्र पर छत्र लगाने का काम संभव हो पाया है। गांव के सरपंच मनीष कुमार ने बताया कि अशोक स्तंभ की रैप्लिका का काम पूरा होने से उनके गांव को प्रदेश के साथ देश में अलग पहचान मिलना तय था। इसी विश्वास के साथ 4 सितंबर 2019 को पार्क के पहले चरण के लिए अशोक धम्म चक्र स्थापित किया। 30 फीट ऊंचा और छह टन वजनी लोहे का अशोक चक्र देश में सबसे ऊंचा चक्र है। इसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ। इस चक्र का पूरा खर्च NRI डॉ. सत्यदीप गौरी ने उठाया। पंचायत ने 10 साल पहले शुरू किया अभियान गांव के सरपंच मनीष कुमार ने बताया कि यमुनानगर के टोपरा में सम्राट अशोक ने 2300 साल पहले एक स्तंभ का निर्माण करवाया था। 13वीं शताब्दी में इस स्तंभ को फिरोजशाह तुगलक यहां से उखाड़ कर दिल्ली ले गया। उसे फिरोजशाह कोटला मैदान में लगाया गया। 10 साल पहले गांव की तत्कालीन सरपंच रामकली (65) ने स्तंभ को गांव में वापस लाने की मुहिम छेड़ी। दिक्कत यह थी कि न तो इतने संसाधन थे और न ही पैसा। फिर भी उन्होंने ठान लिया कि इस काम को पूरा करना है। उस समय महिला सरपंच ने पंचायत में प्रस्ताव पास कर प्रदेश सरकार को भेजा। अशोक स्तंभ नहीं तो उसका रैप्लिका ही सही टोपरा पंचायत ने मांग की कि उनके गांव का स्तंभ वापस लाया जाए। साथ ही यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भी भेजा। दबाव बनाने के लिए महिला सरपंच ने आसपास के 45 गांवों के सरंपचों से हस्ताक्षर करा पत्र भी केंद्र सरकार को लिखा। केंद्र और राज्य सरकार ने इसमें कोई सहयोग नहीं मिला। रामकली के नेतृत्व में ग्रामीणों ने अपनी पहचान वापस लाने की ठानी। ग्रामीणों ने फैसला किया कि स्तंभ नहीं आ सकता तो उसका रैप्लिका तैयार कराया जाए। यह भी निर्णय लिया कि गांव में सम्राट अशोक के नाम पर पार्क बनाएंगे। इस पार्क के लिए सर्वसम्मति से 25 एकड़ पंचायती जमीन दे दी गई। आसान नहीं था रैप्लिका बनाने का सफर सरपंच कुमार ने बताया कि राह आसान नहीं थी, क्योंकि अधिकारी मानने को तैयार नहीं थे कि फिरोजशाह कोटला मैदान में लगा स्तंभ गांव से ले जाया गया है। वहीं पंचायती जमीन में अशोक पार्क बनाने के लिए भी सरकार की मंजूरी चाहिए थी और हर बार इसकी फाइल रिजेक्ट हो रही थी। यह काम अकेले पंचायत के बस का नहीं था। इस काम के लिए हरियाणा में बौद्ध स्थल के संरक्षण के लिए काम कर रही गैर सरकारी संस्था द बुदिस्ट फोरम के अध्यक्ष सिद्धार्थ गोरी से संपर्क किया। गौरी ने ही ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध करवा कर साबित किया कि स्तंभ टोपरा गांव से ही गया है। फंड की कमी का समाधान भी फोरम के प्रवासी भारतीय सदस्य सत्यदीप गौरी ने किया। इस काम के लिए टोपरा के लोगों को आसपास के 50 गांवों के सरपंचों और ग्रामीणों का सहयोग मिला। एशिया में अपनी तरह का पहला पार्क सिद्धार्थ गौरी ने बताया कि अशोक धम्म चक्र स्थापित होने के बाद जैसे ही लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में इसका नाम आया, इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने भी गांव के प्रयास को मान्यता दी। सरकारों का पूरा सहयोग मिल रहा है। गांव ने 25 एकड़ जमीन पार्क के लिए चिह्नित की है। इसमें सम्राट अशोक के स्तंभ और शिलालेख का रैप्लिका स्थापित किए जाएगा। इसमें 9 स्तंभ, 14 शिलालेख भी होंगे। पहले चरण में यहां दिल्ली में स्थित टोपरा अशोक स्तंभ का रेप्लिका स्थापित होगा। इसकी उंचाई 50 फीट रखी जाएगी। यह पार्क एशिया में अपनी तरह का पहला पार्क होगा। यहां अब श्रीलंका से बोद्धिवृक्ष की पवित्र शाखा का भी रोपण करेंगे। इससे पार्क का आध्यात्मिक महत्व बढ़ेगा। बुद्धिस्ट सर्कल से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर सिद्धार्थ गौरी ने बताया कि पार्क के माध्यम से रोजगार के नए अवसर जुटाने का प्रयास किया जाएगा। टोपरा कुरुक्षेत्र से 35 किमी है। टोपरा को लेकर बुद्धिस्ट सर्कल बनाने का प्रयास है। टोपरा से चनेटी 22 किमी है और वहां एक स्तूप है। इसका निर्माण 2,300 वर्ष पूर्व सम्राट अशोक ने कराया था। 300 साल बाद कुषाण सम्राटों ने इसे भव्य रूप दिया। चनेटी से दो किमी दूर सुघ गांव है। यहां विशाल टीला स्थित है, इसमें प्राचीन मुख्य महानगर शुर्गन के अवशेष दबे हैं। 1,300 वर्ष पहले चयिनिस ट्रैवलर शुन्शंग ने यहां 10 स्तूप, 5 बौद्ध विहार और 100 हिंदू मंदिरों का वर्णन किया था।

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